अनुसूचित जाति/जनजाति पर हुए बर्बर हमले की जाँच करने समाजवादी पार्टी के प्रमुख माननीय अखिलेश यादव के निर्देशानुसार छह नेताओं का प्रतिनिधि मंडल कानपुर देहात के सपा जिला कार्यालय माती पहुंचा, जहां उन्होंने मंगटा दलित काण्ड के बारे में ग्रामवासियों से रूबरू होकर बातचीत करते हुए घटना की जानकारी जुटाई और फिर घायलों से मिलने उर्सला अस्पताल पहुंचे.
बता दें कि कानपुर देहात के मंगटा ग्राम में अनुसूचित जाती/जनजाति के लोगों पर भाजपा समर्थकों द्वारा उस समय निंदनीय हमला किया गया, जब वें ग्राम में गौतम बुद्ध एवं बाबा साहेब अंबेडकर की कथा का आयोजन कर रहे थे. इस बर्बर हमले में अज्ञात लोगों ने कथा में भागीदारी कर रहे लोगों के साथ मारपीट की तथा उनके घरों में आग लगा दी, जिसमें तकरीब 30 महिलाओं, बच्चों सहित अन्य लोगों को भी चोटें पहुंची हैं.
इस शर्मसार घटना को संज्ञान में लेते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तुरंत छह नेताओं का एक प्रतिनिधि मंडल बनाकर मंगटा गांव के लिए रवाना किया और उनसे घटना की पूरी रिपोर्टिंग करने व घायलों से मिलकर घटना के सही जानकारी लाने का निर्देश दिया. जिस पर सपा अनुसूचित जाति/जनजाति प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष श्री सर्वेश अंबेडकर सहित पूर्व मंत्री श्री रामपाल, पूर्व मंत्री श्री दयाशंकर वर्मा, पूर्व विधायक श्री कमलेश दिवाकर, राष्ट्रीय महासचिव अखिलेश कटियार, अनुसूचित जाति/जनजाति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष श्री भूपेंद्र कटियार, योगेंद्र पाल सहित अन्य सहयोगी ग्राम मंगटा में पहुंचे और पीड़ितों से पूरी घटना का लेखा-जोखा लिया.
घटना की निंदा करते हुए सर्वेश अंबेडकर ने मीडियाकर्मियों को जानकारी दी कि,
इस क्रूर व जघन्य घटना को संज्ञान में लेते हुए हम सभी समाजवादी प्रतिनिधि यहां ग्रामवासियों से मिलने आये हैं, ताकि समस्त घटनाक्रम की रिपोर्ट माननीय अखिलेश यादव को सौंप सके. समाजवादी पार्टी जहां सभी दलित भाइयों-बहनों को आगे बढ़ाने और उनके एकीकरण का संकल्प लेकर चल रही है, वहीँ मंगटा गांव में दलित भाइयों-बहनों के साथ ऐसा अन्याय और क्रूरता की जानी बेहद शर्मनाक है. जिसे पार्टी कतई बर्दाश्त नहीं करेगी. एक ओर जहां भाजपा सरकार रामराज्य की बात करती है और कहती है कि उनके राज में शेर और बकरी एक ही घाट से पानी पीते हैं, वहां इस तरह का भेदभाव और अनाचार अनुसूचित जाति के लोगों के साथ होना दुर्भाग्यपूर्ण है. सारा भारत जहां बाबासाहेब और भगवान गौतम बुद्ध के सिद्धांतों पर चल रहा है, बड़े बड़े सरकारी दफ्तरों में इन महापुरुषों की प्रतिमाएं पूजनीय हैं, वहां एक छोटे से मंगटा ग्राम में केवल इसलिए दलितों को मारा पीता गया क्योंकि वें बाबा साहेब व भगवान बुद्ध की कथा करा रहे थे, उनके विचारों को सुन रहे थे...यह कहीं से भी उचित नहीं है.
उन्होंने आक्रोश जताते हुए जानकारी दी कि,
एक ओर सरकार के वरिष्ठ जन बाबा साहेब के आदर्शों की बात करते हैं तो दूसरी ओर उसी सरकार के लोग अपने उत्थान्कर्ताओं के आदर्शों को सुन रहे लोगों के साथ मोब लिंचिंग करते है. यदि अनुसूचित जाति के भाई-बहन कोई गैरकानूनी कार्य कर रहे थे तो उनके खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही की जाती, उन्हें मारपीटा क्यों गया? किसी भी तरह की हिंसात्मक कार्यवाही बेगुनाह लोगों के लिए क्यों की गयी? समाज में क्षत्रिय लोगों के लिए महिलाओं व बच्चों पर हाथ उठाना अपराध माना गया है, जो शास्त्रों में भी वर्णित है. तो ऐसे उच्च जाति के लोग क्षत्रिय नहीं कायर कहलाये जाने चाहिए. जिन्होंने सामाजिक न्याय व सामाजिक समानता की नींव रखने वाले महापुरुषों का भी आज अनादर किया है.
इसके साथ ही प्रतिनिधि मंडल ने उर्सला अस्पताल पहुंचकर घायलों से भी मुलाकात की और उन्हें आश्वासित किया कि उनकी हरसंभव मदद की जाएगी. साथ ही घटना को सरकार के कानों तक भी पहुंचाया जायेगा. सर्वेश अंबेडकर ने इस घटना के लिए दुःख जताते हुए आश्चर्य भी प्रकट किया कि अभी तक इस घटना के प्रति सरकार ने कोई भी कदम नहीं उठाया और न ही घायलों की कोई सहायता की, जो बेहद निराशाजनक है.