"संविधान मात्र वकीलों का दस्तावेज नही, बल्कि हमारे जीवन का माध्यम है,और इसकी आत्मा हमेशा जीवन की भावना है।"
~डॉ.बी.आर. अम्बेडकर
सभी प्रबुद्ध देशवासियों को संविधान दिवस की हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाएँ। आज का दिन एक नए युग की सुबह को चिन्हित करता है। संविधान के निर्माताओं के योगदान को स्वीकार करने और प्रमुख मूल्यों के बारे में समझने के लिए ही आज संविधान दिवस मनाया जाता है। इसके मूल्यों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।
26 नंबम्बर, 1949 को संविधान सभा में बाबा साहब डॉ अम्बेडकर जी ने यह आशंका व्यक्त की थी कि सामाजिक एवं आर्थिक समानता के बिना राजनैतिक समानता से परस्पर विरोध बढ़ेंगे। बाबा साहब ने कहा था कि,
"26 जनवरी, 1950 को हम परस्पर विरोध के युग मे प्रवेश करने जा रहें हैं। राजनीति में हमारे पास समानता होगी और सामाजिक एवं आर्थिक जीवन मे असमानता, राजनीति में हम एक व्यक्ति एक वोट तथा एक वोट का एक मूल्य के सिद्धांत को अपनाएंगे, किन्तु अपने सामाजिक और आर्थिक ढांचे के कारण हम एक व्यक्ति का एक मूल्य के सिद्धांत का खंडन करते रहेगें। हम यह परस्पर विरोध का जीवन कितने दिनों तक जी सकेंगे? हम अपने सामाजिक और आर्थिक जीवन मे समानता का कितने दिनों तक खंडन करते रहेंगे? यदि लम्बे समय तक खंडन करते रहे तो हम ऐसा केवल अपने राजनैतिक लोकतंत्र को खतरे में डालकर ही कर सकते हैं। हमें यह विरोधाभास यथाशीघ्र खत्म करना होगा, अन्यथा जो लोग असमानता से पीड़ित हैं वे राजनीतिक लोकतंत्र को उखाड़ फेंकेंगे जिसे हमने इतनी कड़ी मेहनत से बनाया है।"
आज के परिपेक्ष्य में संविधान विरोधी शक्तियां देश की सत्ता पर संप्रदायिता के बल पर काबिज़ है। जिसके चलते भारतीय संविधान और देश कठिन दौर से गुजर रहा है। आईये हम भारत के लोग संविधान के हिफ़ाज़त की शपथ लें और पुनः समाजवादी भारत को मजबूत करें।
सर्वेश अम्बेडकर
पूर्व राज्यमंत्री
सदस्य राज्य कमेटी
समाजवादी पार्टी उ.प्र.