भारतीय संविधान के शिल्पकार व महान समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर समाजवादी राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय अखिलेश यादव व एससी एसटी प्रकोष्ठ के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष माननीय सर्वेश अंबेडकर ने उन्हें याद करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की. उनके कार्यों को स्मरण करते हुए सभी ने पुष्पों की माला भेंट कर उन्हें नमन किया.
विद्वान समाज सेवी बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर 6 दिसम्बर वर्ष 1965 को पंचतत्वों में विलीन हुए थे. वह भारत के ऐतिहासिक पन्नों में एक ऐसा नाम है, जो अपने स्वाभाव व कार्यों द्वारा जाने जाते है. उन्होंने आजाद भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री के रूप में भारतीय गणराज्य की स्थापना की थी, आज उनके प्रयासों के कारण ही भारत में लोकतंत्र को सर्वोच्च तंत्र के रूप में माना जाता है. बाबा साहेब को स्वयं भी काफी समय तक सामाजिक उत्पीडन का सामना करना पड़ा. उसके बाद उन्होंने जातिपाती तथा ऊँच-नीच जैसी कुरीतियों को खत्म करने के लिए विभिन्न कार्य किए. वह वर्तमान में भी प्रत्येक भारतीय नागरिक के आदर्श और सिद्धांत के रूप में उनके हृदयों में जीवित हैं और उनके महापरिनिर्वाण दिवस पर ऐसे महापुरुष को कोटि-कोटि नमन.
उनका मात्र एक लक्ष्य था कि सामाजिक असमानता को समाप्त कर दलितों के मानवाधिकार की प्रतिष्ठा करना. डॉ. भीमराव अंबेडकर ने सभी को सचेत भी किया था, कि '26 जनवरी वर्ष 1950 को हम परस्पर विरोधी जीवन में प्रवेश कर रहे हैं. सभी के राजनीतिक क्षेत्र में समानता तो रहेगी किंतु सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में असमानता होगी. इस परस्पर विरोधता को समय रहते दूर करना होगा. जिससे कोई भी असमानता के घेरे में न रहे.
बाबा साहेब ने ऊंच-नीच की कुरीति को समाप्त कर सामाजिक एकता और भेदभाव के कलंक से देश को सुरक्षित रखने के लिए काफी संघर्ष किया, जिसके कारण ही आज जात-पात से परे सभी को समाज में समानता का अधिकार प्राप्त है. इसी से ज्ञात होता है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर का जीवन सभी लोगों के लिए एक मिसाल है. इसलिए देश के सभी नागरिको को धर्म, जाति, संप्रदाय के नाम पर लड़ाई न करें अपितु एक मुट्ठी बन कर देश के लिए कार्य करें और अपना सर्वस्व देश पर न्यौछावर करें.