केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा पारित किसान विरोधी बिल के खिलाफ आज देश के 62 करोड़ किसान व मजदूर सड़क पर खड़े हैं। बावजूद इसके सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं। इसी मुद्दे को लेकर फर्रुखाबाद में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के दिशा निर्देश पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष (अनुसूचित जाति, जनजाति प्रकोष्ठ) समाजवादी पार्टी सर्वेश अंबेडकर के द्वारा राज्यपाल को जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें समाजवादी पार्टी फर्रुखाबाद के सभी वरिष्ठ नेता गणों ने भाग लिया।
दरअसल कृषि विधेयक बिल को लोकसभा में बिना चर्चा के राज्यसभा में जबरन पारित कराया है और इस पर प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि बिल पास होने के बाद भी किसानों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू रहेगा, लेकिन बिल में कहीं भी इस शब्द का उल्लेख नहीं है। केंद्र की भाजपा सरकार देश की संपत्ति को एक-एक कर निजी कंपनियों को बेच रही है। देश में एक कृषि उद्योग ही बचा था, इसपर भी सरकार किसानों को कमजोर कर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का काम कर रही है।
ज्ञापन देने के मौके पर सर्वेश अंबेडकर ने जानकारी देते हुए कहा कि,
"किसानों के लिए स्थापित किए गए स्वामीनाथन आयोग के सीटू फॉर्मूले के तहत किसानों को एमएसपी की गारंटी देने की बात कही गई है, लेकिन इस किसान विरोधी बिल में कहीं भी इस बिन्दु का जिक्र नहीं है। हैरत की बात यह है कि भाजपा ने किसान बिल पास कराने से पहले एक बार भी विपक्ष से चर्चा करना ठीक नहीं समझा। यदि लोकसभा में इस बिल पर बहस की जाती तो हो सकता है कि कुछ अन्य तथ्य या बिंदु निकलकर आते, जिससे किसानों को मजबूती ही मिलती लेकिन सरकार ने लोकतांत्रिक व्यवस्था का पालन करना जरूरी नहीं समझा और पूँजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए राज्यसभा में बिल पारित कर लिया। यह किसान विरोधी बिल एक तरह से किसानों का डेथ वारंट है और कुछ नहीं और समाजवादी पार्टी इस बिल का विरोध करती है।"