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रमनकांत त्यागी -जयंती मदन मोहन मालवीय जी जयंती पर उन्हें कोटि - कोटि नमन।

महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर को हुआ था। वो काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे, साथ ही इस युग के आदर्श पुरुष भी थे। वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया। पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार, मातृ भाषा तथा भारतमाता की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले मदन मोहन मालवीय ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। 

शिक्षा के विकास में लगे हैं

मदन मोहन मालवीय जीवन भर गांवो में शिक्षा के विकास के लिए प्रयास करते रहे, क्योकि उनका मानना था की अगर समाज का हर व्यकित शिक्षित है, तो वो अपने अधिकारो को अच्छे से जान सकेगा जिससें अपनी सारी परेशानियों को वो खुद ही मिटा सकेगा।

भारत की आजादी के लिए मदन मोहन मालवीय बहुत आशान्वित रहते थे. एक बार उन्होंने कहा था, 'मैं 50 वर्षों से कांग्रेस के साथ हूं, हो सकता है कि मैं ज्यादा दिन तक न जियूं और ये कसक रहे कि भारत अब भी स्वतंत्र नहीं है लेकिन फिर भी मैं आशा रखूंगा कि मैं स्वतंत्र भारत को देख सकूं.' आजादी मिलने के एक साल पहले मदन मोहन मालवीय का निधन हो गया

विश्वविद्यालय निर्माण के लिए जमा किया धन

अंग्रेजी शासन के दौर में देश में एक स्वदेशी विश्वविद्यालय का निर्माण मदन मोहन मालवीय की बड़ी उपलब्धि थी. मालवीय ने विश्वविद्यालय निर्माण में चंदे के लिए पेशावर से लेकर कन्याकुमारी तक की यात्रा की थी. उन्होंने 1 करोड़ 64 लाख की रकम जमा कर ली थी.

 

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