तिगरी गंगा मेला, गजरौला, अमरोहा में आयोजित
जाटव सभा के कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित माननीय सर्वेश
अंबेडकर जी (सपा अनुसूचित जाति/जनजाति, प्रदेश अध्यक्ष) ने जोरदार वक्तव्य देते
हुए जाटव समाज को जागरूक किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि,
“हमारे समाज को विरासत में गरीबी, लाचारी एवं अपमान मिला है, जिसका समूल नाश करने के लिए बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान में मौलिक अधिकारों की प्रतिष्ठा की. कार्यक्रम में मौजूद कानून के विद्यार्थी एवं अधिकारी जानते हैं कि इन अधिकारों की क्या महत्ता है? आज हमारे इन्ही अधिकारों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और हम जिन्दा होते हुए भी मरे के समान हैं. आज हमारे इस प्रतिष्ठित संविधान को बदलने की तैयारी वर्तमान सरकार द्वारा की जा रही है. भाजपा सरकार अन्य बहुत से दलों के सहयोग से संविधान में स्थापित मौलिक अधिकारों में परिवर्तन लाने की कोशिशों में लगी है.”
सर्वेश जी ने सदियों से समाज में दलित
वर्ग के साथ किये जा रहे भेदभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि,
“वे हमें इज्जत और सम्मान का जीवन जीने देने से रोकना चाहते हैं, वे चाहते हैं कि जिस प्रकार सदियों पहले हम हाथ में झाड़ू एवं गले में मटकी डालकर कार्य किया करते थे, वही दौर फिर से वापस आ जाये. इसलिए मैं सभी जाटव समाज के बंधुओं से कहना चाहूंगा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हमारे समाज के लोग “जाटव” के नाम से जाने जाते हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में हमारे समाज के उपनाम भी भिन्न भिन्न हैं, परन्तु हमारी दशा बिलकुल समान है. आज बाबा साहेब के दिए हुए संविधान को समाप्त करने में बहुत सी सांप्रदायिक, जातिवादी शक्तियां जुटी हुई हैं, वो आज भी चाहते हैं कि दलित वर्ग पिछड़ा ही रहे.”
जाटव समाज के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए
माननीय सर्वेश जी ने अपने संबोधन में स्पष्ट करते हुए कहा,
“एक मौका था जब देवासुर संग्राम हुआ था और एक मौका है जब दलित संघर्ष कर रहा है. पूर्व में राजा-महाराजाओं के समय में कोई भी उच्च पद दलितों को प्राप्त नहीं था. उस दौर में दलित समाज में जन्में गुरु रविदास जी ने कहा था..
“रविदास सुख बसन को बस दो ही ठाव, ऐक सुख स्वराज माहि दूजा मरघट गाँव.”
जिसका तात्पर्य है कि यदि सुख प्राप्त करना है तो राजपाठ के लिए संघर्ष करना होगा, चुनाव की शक्ति को पहचानना होगा, और यदि संघर्ष नहीं कर सकते तो सुख केवल मरघट में ही मिल सकता है, जिसके लिए मरना होगा. कहने का तात्पर्य है कि उस समय प्रजातांत्रिक व्यवस्था नहीं थी, परन्तु बाबा साहेब ने अपने अथक प्रयासों से सम्पूर्ण व्यवस्था बदल कर रख दी. उन्होंने कानून के अंतर्गत सभी पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए संविधान के अंतर्गत प्रावधान रखा. उन्होंने प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत दलितों को उनका अधिकार दिलाने की व्यवस्था की. आज तक दलितों के साथ जानवरों वाला व्यवहार किया गया, परन्तु बाबा साहेब के प्रयासों से वोट की शक्ति के कारण पिछड़े वर्गों को समाज में सम्मान मिला है. आज बहुत से नामचीन राजनीतिज्ञ दलित समाज से हैं.”
इसके अतिरिक्त सर्वेश जी ने जाटव समाज के
लोगों को उनके अधिकारों के लिए जागरूक बना रहने के लिए अपील करते हुए अपने संबोधन
में कहा,
“आप सभी बंधु गंगा किनारे जाकर संकल्प ले कि भले ही आप भूखे रहले, फटे वस्त्र पहनने पड़े, परन्तु अपने बच्चों को सुशिक्षित करें, उन्हें स्नातक तक शिक्षा अवश्य दिलवाए. शिक्षा का एकमात्र कारण केवल आच्छी नौकरी प्राप्त करना नहीं है, अपितु इससे भावी पीढ़ी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होगी, वे अपने इतिहास, अपनी सुरक्षा के लिए बने कानूनों को जान सके. राजसत्ता की सही समझ को विकसित कर आगे बढ़ सकें.”
आगामी चुनावों में अपनी वोट की शक्ति का
सही प्रयोग करने के लिए जनसभा को दिए गये अपने संबोधन में अपने समाज को वर्चस्व
दिलाने की बात कही. उपस्थित जनता में नवऊर्जा और जोश का संचार करते हुए सर्वेश जी
ने कहा,
“यदि हम 2019 के चुनावों में जाती, धर्म इत्यादि के मुद्दे पर भक गये तो बाबा साहेब का संविधान खतरे में पड़ जाएगा. आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करने की तैयारी वर्तमान सरकार कर रही है, परन्तु आज भी हमारे समाज में ऐसे वीर उपस्थित हैं, जो सरकार के इस गलत निर्णय का खुलकर विरोध करते हैं और अपने समाज की प्रगति के लिए अग्रसर हैं. हमनें कैराना में भाजपा को हराकर साबित किया कि हमारा समाज पूर्णत: योग्य है. देश की जनसंख्या में दलित समाज का वर्चस्व अत्याधिक है, जिसे अनदेखा करना स्वीकार नहीं किया जा सकता है.”
माननीय सर्वेश जी ने जाटव सभा में उपस्थित
सभी अधिकारियों, आमंत्रित संगीतज्ञ, कार्यकर्ता गण एवं समस्त जाटव समाज को साधुवाद
अर्पित किया. सभा में सुमधुर संगीत से मनोरम छटा निर्मित करने वाले “जागृति जत्था”
को हार्दिक धन्यवाद देते हुए सर्वेश जी ने उनकी सराहना करते हुए कहा कि “हमें गर्व
है कि बाबा साहेब के सिद्धांतों को संगीत के माध्यम से प्रचारित कर रहे इतने योग्य
संगीतज्ञ हमारे मध्य मौजूद हैं.” साथ ही उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित संयोजक श्री मदन भारती जी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कन्नौज मुन्नी
अंबेडकर जी, समाजवादी
पार्टी अनुसूचित जाति जनजाति प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष बृजलाल सिंह जाटव जी, मुरादाबाद से मदन सिंह पाल जी, बामसेफ
प्रदेश उपाध्यक्ष विमला रानी जी, अशोक अंबेडकर जी इत्यादि
सभी मान्यगणों को दिल से धन्यवाद दिया.
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