“माननीय सर्वेश अंबेडकर जी संगठन की सुदृढ़ता के लिए नवनीतियों का निर्माण कर प्रतिबद्धता के साथ कार्यरत, लोहिया/अंबेडकरवाद को समर्थन प्रदान करते एक ऐसे उदारवादी व्यक्तित्व का उदाहरण देते हैं, जो वंचितों एवं शोषितों के हित के लिए निरंतर प्रयासरत है.”
कन्नौज के साथी सर्वेश अम्बेडकर जी फिलवक्त समाजवादी पार्टी के अनुसूचित जाति/जनजाति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष हैं. छात्र जीवन के समय दलित जाति से संबंधित होने के कारण उन्हें सामाजिक भेदभाव का शिकार होना पड़ा, जिससे उपजे मानसिक विद्रोह को उन्होंने पहले अर्जक संघ और इसके उपरांत कांशीराम साहब के साथ जुड़कर समाज की जागृति में परिणत किया.
बहुजन समाज पार्टी में कांशीराम साहब व मायावती जी का इन्हें सान्निध्य प्राप्त रहा. कांशीराम साहब द्वारा दी गयी ट्रेनिंग ने सर्वेश अम्बेडकर जी को वैचारिक रूप से फौलाद बना दिया और उन्होंने न केवल यूपी बल्कि हिमांचल प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश आदि सूबों में प्रभारी बनकर बहुत से काम किये और श्यामपट्ट/चाक लेकर वर्करों को ट्रेंड भी किया. बहुजन समाज पार्टी ने भी सर्वेश जी को राज्य मंत्री का दर्जा दिया तथा अखिलेश यादव जी के क्षेत्र कन्नौज से इनकी पत्नी श्रीमती मुन्नी अंबेडकर जी जिला पंचायत अध्यक्ष बनी. यह दुखद पहलू रहा कि सर्वेश जी बसपा से निष्कासित कर दिए गए तथा उनके समक्ष अब राजनैतिक विकल्प तलाशने की मजबूरी हो गयी. मैं बधाई दूंगा कि सर्वेश जी ने काफी सोच-विचार के बाद समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली और आज वे सपा के एससी/एसटी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष हैं.
सर्वेश जी के अतिरिक्त समाजवादी पार्टी में अन्य 14 अनुसांगिक संगठनों का गठन किया गया है, जिनको बकायदा अपना स्वयं का कार्यालय एलाट है. इनकी कार्यकारिणी है, परन्तु जब से वे अनुसूचित जाति/जनजाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष बने हैं, तब से प्रदेश कार्यालय में इनका बैठना, संगठन की समीक्षा एवं बैठकें आयोजित करना लगातार जारी है.
सर्वेश जी के द्वारा सामाजिक कुरीतियों पर लगातार प्रहार करने के कारण कन्नौज में लोग उपहास स्वरूप इन्हें “अम्बेडकर” कहते थे, जिसे सर्वेश जी ने अंगीकार कर खुद का उपनाम ही अंबेडकर रख लिया. अम्बेडकरवाद का प्रचार-प्रसार करने के कारण सर्वेश जी को गोली तक मारी गयी, किन्तु वे निर्भीक होकर केवल आगे बढ़ते रहे. सर्वेश जी ने समाजवादी पार्टी के लोहिया सभागार में अन्य समाजवादी नेताओं के साथ बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी की मूर्ति स्थापना हेतु इसे 14 अप्रैल यानि अम्बेडकर जयंती पर सपा मुखिया श्री अखिलेश यादव जी को भेंट कर स्थापित करवाया. यह एक ऐतिहासिक पल था क्योंकि बाबा साहब व लोहिया जी के बीच साथ मिलकर काम करने का माहौल तैयार हो रहा था, लेकिन उसी बीच बाबा साहब परिनिर्वाण को प्राप्त हो गए.
सर्वेश जी समाजवादी पार्टी में अनुसूचित जाति/जनजाति प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद की चुनैतियों को स्वीकारते हुये लगातार जिला संगठन तैयार कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी में सबसे कठिन काम एससी/एसटी प्रकोष्ठ का गठन करना है, क्योंकि पदोन्नति में आरक्षण बिल, ठेके में आरक्षण की व्यवस्था को खत्म करने की तोहमत सपा पर है. यह अलग बात है कि वर्तमान में अखिलेश यादव जी यह स्वीकार कर रहे हैं कि वे हारने के बाद समझे हैं कि यथार्थ क्या है? और अब वे आबादी के अनुपात में सम्मान की बात करने लगे हैं.
सर्वेश जी लखनऊ में रहने पर लगातार अपने कार्यालय में बैठते हैं. वे देर रात तक अपने कार्यालय में काम करते मिल जाएंगे एवं अपने बसपा के पुराने सम्पर्को का भी बखूबी इस्तेमाल कर वे अनवरत रूप से सपा को संगठित कर रहे हैं. एक से एक मिशनरी लोगों को सर्वेश जी सपा से जोड़ रहे हैं. जिलावाइज संगठन से लेकर बूथवाईज संगठन खड़ा करना सर्वेश जी का मकसद है, साथ ही वे यथाशीघ्र सपा दलित सम्मेलन भी करवाना चाहते हैं.
मैं निःसंकोच कह सकता हूँ कि जिस भी दल को सर्वेश अम्बेडकर जी जैसे एक दर्जन कार्यकर्ता मिल जाये, वह दल मजबूत से मजबूत स्थापित पार्टी को शिकस्त दे सकता है. मुझे फख्र है कि सर्वेश जी मेरे अच्छे साथी हैं.
“जय भीम ! जय लोहिया ! जय मण्डल !”
साभार
चंद्रभूषण सिंह यादव
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